रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में नहीं किया कोई बदलाव
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक के नतीजे सामने आ गए हैं। बैठक में केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में एक बार फिर से कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है।
नई दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक के नतीजे सामने आ गए हैं। बैठक में केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में एक बार फिर से कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा के प्रस्तावों को जारी किया। शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को 4 फीसदी पर बरकरार रखा और रिवर्स रेपो रेट को 3.35 फीसदी पर बनाए रखा।
रिजर्व बैंक ने 2021-22 के लिए जीडीपी में ग्रोथ के अनुमान को भी 9.5 फीसदी पर यथावत कायम रखा है। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक तीन दिन की बैठक 4 अगस्त को शुरू हुई थी और 6 अगस्त तक चली है।
विशेषज्ञों का भी यही मानना था कि कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर की आशंका और खुदरा मुद्रास्फीति के बढ़ने के बीच भारतीय रिजर्व बैंक इस सप्ताह प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा।
रिजर्व बैंक ने जून में भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करते हुए उसे 4 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला किया था।
वहीं रिवर्स रेपो रेट को 3.35 फीसदी पर बनाए रखा था। उन्होंने यह भी कहा था कि केंद्रीय बैंक अपनी मौद्रिक नीति का रुख लचीला बनाए रखेगा। रेपो रेट वह होता है, जिस रेट पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है।
रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले सभी तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। लेकिन इससे आपकी जमा पर ब्याज दर में भी बढ़ोतरी हो जाती है। जिस रेट पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।
बैंकों के पास जो अतिरिक्त नकदी होती है, उसे रिजर्व बैंक के पास जमा करा दिया जाता है। इस पर बैंकों को ब्याज भी मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी को नियंत्रित करने में काम आता है।