कोरबा के पशु पालक निजी चिकित्सालय में मवेशियों का इलाज करवाने मजबूर
chhattisgarh के कोरबा शहर में बसे गोकुल नगर पशुपालकों का आरोप है कि सरकारी दवाएं पशुओं के इलाज में असरदार नहीं हैं और उन्हें निजी चिकित्सालय से अपने मवेशियों का इलाज करवाना पड़ रहा है। बता दें कोरबा शहर में बसे गोकुल नगर से पूरे कोरबा शहर को दूध सप्लाई होती है यहां पशुपालकों के लगभग 100 परिवार रहते हैं जिनका दूध का व्यवसाय है यह पशु पालक मवेशियों में होने वाली बीमारी को लेकर परेशान हैं |
कोरबा| chhattisgarh के कोरबा शहर में बसे गोकुल नगर पशुपालकों का आरोप है कि सरकारी दवाएं पशुओं के इलाज में असरदार नहीं हैं और उन्हें निजी चिकित्सालय से अपने मवेशियों का इलाज करवाना पड़ रहा है। बता दें कोरबा शहर में बसे गोकुल नगर से पूरे कोरबा शहर को दूध सप्लाई होती है यहां पशुपालकों के लगभग 100 परिवार रहते हैं जिनका दूध का व्यवसाय है यह पशु पालक मवेशियों में होने वाली बीमारी को लेकर परेशान हैं |
हाल ही में जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड में मवेशियों में टीके लगाने के बाद उनकी मौत के मामले सामने आए थे स्थानीय और राज्य स्तर की जांच टीमों ने गांवों का दौरा किया था फिलहाल वैक्सीन से मौत का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है।
मवेशी और पशु पालक की इस घटना के बाद कोरबा शहर से लगे गोकुल नगर से भी मवेशियों की मौत का मामला सामने आया है यहां पशु पालकों की बात माने तो पशु धन विभाग द्वारा सालाना मवेशियों को बीमारियों के बचाने के लिए वैक्सीनेशन तो किया जाता है लेकिन सरकारी दवाएं काम ही नहीं करती जिस बीमारी से बचाव के लिए मवेशियों को वैक्सीन दी जाती है वही बीमारी हर साल मवेशियों को परेशान करती है कई बार उनकी जान तक चली जाती है इस साल गोकुल नगर में 60-70 मवेशियों की मौत हुई है जिन पशु पालकों ने अपने मवेशियों का निजी इलाज कराया उनके मवेशियों की जान बच गई।
गोबर खरीदी से बने वर्मी कंपोस्ट खाद की भारी मांग, किसानों को सोसाइटियां कर रहीं जागरूक
हाल में यहां मवेशियों में खुरहा चपका नामक बीमारी फैली थी जो मवेशियों के पैरों में होती है इसके अलावा यहां गलघोटू की शिकायत भी बनी है जिसके बाद पशु पालकों ने कहा कि हर साल सरकारी पशु विभाग उनके मवेशियों को वैक्सीन लगाती है वैक्सीन समय पर लग भी जाती है लेकिन मवेशियों पर इसका असर नहीं होता पशु पालकों ने कहा कि सरकारी विभाग की तरफ से गलघोटू और खुरहा चपका नामक बीमारियों के लिए वैक्सीन लगाने के बाद भी मवेशी बीमार पड़ गए थे और उनकी जान चली गई जिन्होंने निजी मेडिकल स्टोर से दवा लाकर अपने पशुओं को दी, केवल उनके मवेशी ही बच पाए हैं अब सरकारी के बजाय प्राइवेट वेटरनरी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों से गोकुल नगर के पशु पालकों ने संपर्क किया है।
पशु अस्पताल से नहीं मिलती कोई सहायता
गोकुल नगर के समीप ही पशु विभाग का मुख्य जिला अस्पताल संचालित है पशु पालक कहते हैं कि यहां जाने पर डॉक्टर नहीं मिलते दवाओं की भी कमी रहती है डॉक्टर को बुलाने पर वह पशु तक नहीं पहुंच पाते कई बार पशु इस स्थिति में नहीं होते कि उन्हें अस्पताल तक ले जाया जा सके ऐसे में पशुओं की जान चली जाती है पशु अस्पताल समीप होने के बाद भी वेटरनरी चिकित्सकों से कोई सहायता पशुपालकों को नहीं मिल पा रही है
कोरबा के पशु पालक वैक्सीन पूरी तरह से असरदार नहीं इस विषय में पशु धन विभाग के अधिकारियों का मत बिल्कुल अलग है विभाग के उप संचालक की माने तो राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत पशुओं को प्रत्येक वर्ष वैक्सीन दी जाती है और यह पूरी तरह से असरदार भी है. उन्होंने कहा कि गोकुल नगर में मवेशियों की मौत होने की सूचना तो मिली थी लेकिन यहां जाने पर ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला कुछ मवेशियों को बीमार जरूर पाया गया. जिनका इलाज किया गया है।