डीबी महिला महाविद्यालय में जेंडर संवेदनशीलता पर कार्यशाला,अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन का संयुक्त आयोजन
जेंडर संवेदनशीलता पर कार्यशाला का आयोजन आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ तथा अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा डीबी महिला महाविद्यालय, रायपुर में संयुक्त रुप से किया गया.
रायपुर| जेंडर संवेदनशीलता पर कार्यशाला का आयोजन आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ तथा अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा डीबी महिला महाविद्यालय, रायपुर में संयुक्त रुप से किया गया.
21 से 23 अगस्त तक जेन्डर संवेदनशीलता पर 3 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ तथा अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा शासकीय दूब महिला महाविद्यालय रायपुर में किया गया. प्राचार्य डॉ किरण गजपाल के मार्गदर्शन में यह आयोजन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ. इस कार्यशाला का आयोजन अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन की संवैधानिक मूल्यों के कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजन किया गया. कार्यशाला में महिला महाविद्यालय के एनएसएस के 38 छात्राओं ने हिस्सा लिया.
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य युवाओं को सही और तर्कपूर्ण दृष्टिकोण के लिए सक्षम बनाना,समाज के रचनात्मक कार्यों में अपनी भूमिका अदा करने के लिए प्रोत्साहित करना एवं सभी मनुष्यों के लिए सम्मानजनक गरिमापूर्ण जीवन पर युवाओं की समझ विकसित करते हुए जेंडर संवेदनशीलता की भावना विकसित करना रहा. छात्राओं ने नाटक,पोस्टर निर्माण व लेखन आदि के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति कार्यशाला में बखूबी व्यक्त की.
इस कार्यशाला में हिस्सा लेने वाले छात्राओं ने कहा की इस कार्यशाला से उनमें जेंडर विषय को लेकर काफी समझ विकसित हुई है.
“मुझे इस वर्कशॉप में काफी कुछ नई चीजें सीखने को मिली, लगता है की यह कार्यशाला 3 दिन से ज्यादा चलता तो हम बहुत कुछ और सीखते. हमने कभी गौर ही नहीं किया था जो चीज़ हमने इस कार्यशाला में शामिल होकर बातचीत के जरिये,विडियो, पेंटिंग आदि के माध्यम से सीखा, वो चीजें हमारे आसपास हो रही थी पर उसमें इतना कभी गहरा विचार नहीं किया था. और जितनी भी चीजें हमारी आसपास होती हुई दिख रही है उसमें क्या बदलाव होना चाहिए और क्या चीज सही है गलत है यह चीज इस कार्यशाला से समझ में आया है. और मेरी दिली आग्रह है कि आगे भी इस तरह का कार्यशाला हो और हमें ऐसे ही बहुत कुछ जानने और समझने को मिले.”
“बदलाव होना चाहिए यह सबका कहना है लेकिन यह बदलाव अपने आप नहीं होगा बल्कि उसके लिए हमें आगे आना होगा तभी जाके बदलाव होगाइस कार्यशाला से यह एक बात समझ में आई.” – पूनम गुप्ता, छात्रा, डीबी महिला महाविद्यालय, रायपुर.
“सबसे अच्छी बात यह है की मुझे ग्रुप में डिस्कशन करने नहीं आता था और मुझे पसंद भी नहीं था वह मैंने इस कार्यशाला सबसे मिलना जुलना और चर्चा करना सीखा.पहले मैं जेंडर के बारे मैं नहीं सोच पा रही थी, मैं इतना ध्यान नहीं देती थी की महिला है पुरुष है, दिमाग उन सब बातों पे नहीं जाता था, परंतु अब जाएगा, कहीं पे भी भेदभाव दिखाई देगा या ऐसा कुछ दिखाई देगा तो हम उसे जरूर रोकेंगे-टोकेंगे और ऐसा कुछ होने से माना करेंगे।”-निशा वर्मा, दूसरे वर्ष की छात्रा, डीबी महिला महाविद्यालय.
“हम समाज को देख देख कर लड़का और लड़की में भेदभाव करते हैं, इसके लिए हमारी सामाजिक सोच जिम्मेदार है, जब तक हम अपना सोच नहीं बदलेंगे न तब तक जेंडर को लेकर सामाजिक सोच भी नहीं बदलेगा और हम समाज में बदलाव नहीं ला सकते हैं इसलिए अपने सोच को सही रखें तो परिवर्तन अपने आप आजाएगा. अपने परिवार में भी अपने माँ-बाप को भी जेंडर के बारे में जागरूक बनाने की जरूरत है.”– नम्रता घोष, छात्रा, महिला महाविद्यालय, रायपुर
कार्यशाला का संचालन अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन से प्रीति माला ने किया और रिचा रथ, सुरेश साहू, डॉ उषा किरण अग्रवाल, डॉ स्वप्निल और पुरषोत्तम ने अलग अलग समय पर सहयोग किया.
उद्घाटन सत्र में कार्यशाला की रूपरेखा आईक्यूएसीप्रभारी डॉ उषा किरण अग्रवाल द्वारा बताई गई.अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन की संवैधानिक मूल्यों के काम के तहत आयोजित इस कार्यशाला का संयोजन डीबी महिला महाविद्यालय की ओर से डॉ स्वपनिल कर्महे और अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन से पुरुषोत्तम ठाकुर ने किया. धन्यवाद ज्ञापन एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी तथा कार्यक्रम समन्वयक डॉ स्वप्निल कर्महे ने किया.
इसी कड़ी में दूसरी कार्यशाला महाविद्यालय के एनएसएस छात्राओं के साथ इस सप्ताह में निर्धारित है जिसमें 45 छात्राएं शामिल होने की जानकारी एनएसएस अधिकारी ने दी.