होली: ग्राहकी के अभाव में सन्नाटे जैसा माहौल

नगर में होली के करीब आते ही रंग गुलाल एवम नगाड़े की दुकाने सज कर तैयार है. परन्तु अभी त्योहारी बिक्री प्रारम्भ नही हुई है जिससे दुकानदारों के चेहरों पर निराशा दिखाई दे रही है.ग्राहकी के अभाव में सन्नाटे जैसा माहौल है.

0 122

- Advertisement -

पिथौरा| नगर में होली के करीब आते ही रंग गुलाल एवम नगाड़े की दुकाने सज कर तैयार है. परन्तु अभी त्योहारी बिक्री प्रारम्भ नही हुई है जिससे दुकानदारों के चेहरों पर निराशा दिखाई दे रही है.ग्राहकी के अभाव में सन्नाटे जैसा माहौल है.

होली त्योहार को मात्र दो दिन बाकी है. रंग गुलाल के साथ नगाड़ो की दुकानें दर्जनों की संख्या में लगी है. नगर के बस स्टैंड, बार चौक, अग्रसेन चौक, ओवरब्रिज सहित इस बार सभी मुहल्लों के खुदरा व्यापारी भी रंग गुलाल की बिक्री कर रहे है. इसके पहले के वर्षों में किसी भी पर्व की खरीदी के लिए आसपास के ग्रामो के लोग नगर की दुकानों में पहुचते थे परन्तु इस बार नगर में ही त्योहारों के लिए आवश्यक सामग्री कोई आधा दर्जन व्यवसायी थोक में बेच रहे है.

लिहाजा ग्रामीण क्षेत्रो में भी होली के लिए आवश्यक सामग्री गांव गांव तक पहुच चुकी है जिसे ग्रामीण अपने ग्राम में ही आसानी से खरीद रहे है. शायद यही कारण है कि नगर के विभिन्न क्षेत्रों में लगने वाली खुदरा दुकाने इस बार सुनी है.

नगर में भी ग्राहकी के अभाव में सन्नाटे जैसा माहौल है. बहरहाल पूर्व में होली, रक्षाबंधन एवम दीवाली के पर्व में सिजनी व्यापार कर अपनी साल भर की आजीविका आसानी से चला लेते थे परन्तु अब बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने इस तरह के काम करने वालो को भी संकट में डाल दिया है.

- Advertisement -

 नगाड़ा पुराने दामों में बेचने की मजबूरी 

लागत एवम मेहनत बढ़ने के बावजूद इस वर्ष बस स्टैंड में प्रतिवर्ष नगाड़ा बेचने आने वाली मुन्नी बाई मेहर ने बताया कि खपत नही होने के कारण वे नगाड़ा पुरानी दर पर ही बेच रही है. मुन्नी बाई के अनुसार वे विगत माह भर से सपरिवार मेहनत कर नगाड़ा बना रहे है.डेढ़ माह में इस परिवार ने कोई 90 नग छोटे एवम 20 नग बड़े नगाड़े बनाये है. जिसे वे विगत वर्ष की तरहः क्रमशः 100 से 110 एवम 500 से 550 रुपये तक बेच रही है. इससे होने वाली आमदनी को ये परिवार सुख दुख के कार्यो में खर्च करता है जबकि वे स्वयम अपने पति के साथ  सड़क मरम्मत एवम डिवाइडर के बीच लगे पौधों को पानी देने का काम कर अपनी आजीविका चला रहे है.

deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा

Leave A Reply

Your email address will not be published.