सोनोग्राफी,एक्सरे,ईसीजी बिन टेक्निशन बंद, पर बीएमओ के मुताबिक उपयोग हो रहा
छत्तीसगढ़ के मह्स्मुन्द जिले के पिथौरा नगर का एक मात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में करोड़ों की लागत से लगाए गए जनरेटर, एक्स रे मशीन , सोनोग्राफी मशीन एवम ईसीजी मशीन बन्द पड़े है. आश्चर्यजनक तो यह है कि उक्त किसी भी मशीन के लिए कोई ऑपरेटर नहीं होने के बावजूद स्थानीय खण्ड चिकित्सा अधिकारी उक्त सभी मशीनों का उपयोग होना बताती रही.
पिथौरा| छत्तीसगढ़ के मह्स्मुन्द जिले के पिथौरा नगर का एक मात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में करोड़ों की लागत से लगाए गए जनरेटर, एक्स रे मशीन , सोनोग्राफी मशीन एवम ईसीजी मशीन बन्द पड़े है. आश्चर्यजनक तो यह है कि उक्त किसी भी मशीन के लिए कोई ऑपरेटर नहीं होने के बावजूद स्थानीय खण्ड चिकित्सा अधिकारी उक्त सभी मशीनों का उपयोग होना बताती रही. इसके अलावा इस अस्पताल में पदस्थ एक दन्त चिकित्सक की लगातार अनुपस्थिति भी चर्चा में है. यहां पदस्थ एक डॉक्टर द्वारा झलप में बकायदा नर्सिंग होम संचालित करते हुए यहां की नाममात्र डयूटी कर रहे हैं.
- स्टिंग रिपोर्ट: पिथौरा स्वास्थ्य केंद्र
पिथौरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पत्रकार शिखा दास लगातार सप्ताह भर से आम लोगो की समस्याओं एवम शिकायतों की पुष्टि के लिए प्रतिदिन अस्पताल का रियल्टी टेस्ट के लिए अस्पताल जाती रही. इस दौरान देखा गया कि प्रदेश सरकार द्वारा आम लोगो की सुख सुविधा एवम उपचार हेतु पर्याप्त धनराशि सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई है. जिससे उपचार हेतु आवश्यक सभी मशीने उपलब्ध करवाई गयी है.
सभी तरह के डॉक्टर भी यहां पदस्थ हैं. परन्तु यहां का मैनेजमेंट पूरी तरह चरमरा गया है. विगत सात दिनों तक इस प्रतिनिधि को अस्पताल में कभी बीएमओ दिखाई नही दिए. अस्पताल में मौजूद स्टाफ हमेशा इनके दौरे या मीटिंग में जाने की जानकारी देता रहा है. अस्पताल में पदस्थ दाँत चिकित्सक पूरे सप्ताह में कभी दिखाई नही दी. परन्तु इस प्रतिनिधि के लगातार अस्पताल आने जाने को देखते हुए अंततः वह मंगलवार के दिन अस्पताल में दिखाई दे ही गयी.
मशीनें उपलब्ध परन्तु टेक्निशन नहीं
अस्पताल में एक्स रे मशीन , सोनोग्राफी मशीन,ईसीजी मशीन ठीक ठाक हालत में उपलब्ध है परन्तु इसे ऑपरेट करने वाला कोई नही है जिसके कारण इन मशीनों को अब जंग भी लगने लगेगा. इसके अलावा मरीजों के कमरों के कूलर खराब पड़े हैं. जच्चा बच्चा वार्ड का ऐसी बन्द पड़ा है. प्रसूति एवम ओपीडी जाने के लिए लगाई गई लिफ्ट भी बिगड़ी पड़ी है. इन सभी बहुमूल्य मशीनों के होते हुए इनका उपयोग नहीं होना नगर का दुर्भाग्य ही खा जा सकता है.
झलप में नर्सिंग होम पिथौरा में ड्यूटी
स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक ऐसे डॉक्टर के बारे में भी पता चला जिनका खुद का नर्सिंग होम झलप के रायपुर मार्ग पर स्थित है . जहां वे अधिकांस समय दिखाई देते है. जबकि वे पिथौरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ है. डॉक्टर के मुख्यालय में नही रहने से तत्काल आवश्कता पड़ने पर ये डॉक्टर उपलब्ध नही हो पाते. जबकि बीएमओ द्वारा इस तरह की किसी जानकारी से इनकार किया जाता है.
जनरेटर बन्द, पॉवर कटते ही मरीजों में हायतौबा
नगर के इस एकमात्र स्वास्थ्य केंद्र में लाखों की लागत से लगा जनरेटर बरसो से बन्द पड़ा है. इसे सुधरवा कर मरीजों को सुविधा देने का अस्पताल प्रबंधन का कोई इरादा दिखाई नही दिया. जिससे शासन की मंशा पर प्रबंधन द्वारा पानी फेरा जा रहा है. पॉवर बन्द होते ही भीषण गर्मी में मरीज तड़पने लगते है. परन्तु प्रबंधन की लापरवाही का खामियाजा डयूटी डॉक्टरों को भुगतना पड़ता है, क्योंकि मरीजों के परिजन अपना गुस्सा ड्यूटी डॉक्टर पर ही उतारते हैं.
जनरेटर-सौर ऊर्जा साल भर से बन्द-बीएमओ
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बीएमओ डॉ तारा अग्रवाल ने इस प्रतिनिधि को बताया कि जनरेटर विगत वर्ष भर से खराब है. दाँत चिकित्सक डयूटी पर आती है. विगत सप्ताह भर से दाँत चिकित्सक के अस्पताल मे नही दिखने के प्रश्न पर उन्होंने गोलमोल जवाब दिया. वही सोनोग्राफी मशीन के भी टेक्निशन के अभाव में बन्द होने की बात कही. वही एक्सरे मशीन के भी काम करने की जानकारी दी गयी जबकि रियल्टी टेस्ट में एक्सरे मशीन हमेशा कमरे में धूलखाती बन्द ही दिखाई दीं.
ऑक्सीजन नहीं , मशीन से दी जाती है ऑक्सीजन
अस्पताल में अब इमरजेंसी हाल में ही कोई आधा दर्जन ऑक्सीजन सीलेंडर गन्दगी के बीच पड़े दिखे. यहां डयूटी में उपलब्ध एक कर्मी ने सभी सिलेंडरों को खाली बताया. कॉन्संट्रेटर मशीन से मरीजों को ऑक्सीजन दी जा रही है. जो कि पावर बन्द होते ही बन्द हो जाती है.
रात्रिकालीन गार्ड नहीं, महिला कर्मियों के साथ बदसलूकी
स्वस्त्य केंद्र में रात्रिकालीन इमरजेंसी डयूटी में अधिकांशतः महिला नर्स एवम महिला डॉक्टर ही डयूटी करती हैं. ये महिलाये कभी कभी रात भर शराबियों एवम अराजक तत्व के उत्पात से परेशान रहती है. नर्सिंग स्टाफ के अनुसार रात में स्वस्त्य परीक्षण के लिए आरोपियों को लेकर आने वाले पुलिस कर्मी भी कभी कभी नशे में धुत आते हैं और महिला स्टाफ को बेइज्जत करने में कोई कसर नहीं छोड़ते परन्तु विवाद के भय से ये महिला कर्मी शिकायत भी नही कर पाती.
इस सम्बन्ध में बीएमओ डॉ तारा अग्रवाल ने बताया कि गार्ड नियुक्त नहीं किया गया है. इसकी नियुक्ति जन भागीदारी फंड से होती है या खुद से गार्ड को भुगतान करना होता है.
बहरहाल शासन ग्रामीणों के स्वास्थ्य के लिए करोड़ो का बजट देती है परन्तु इस बजट का आम लोगो को मिलने वाला लाभ शून्य है. वही रात्रिकालीन डयूटी करने वाली महिला स्टाफ एवम डॉक्टर अपने आपको जोखिम में डाल कर डयूटी करने मजबूर हैं.
deshdigital के लिए रजिंदर खनूजा