नई दिल्ली| 8 मार्च को महिला दिवस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से अवार्ड से सम्मानित महिला बाउंसर 34 वर्षीय मेहरूनिसा पर किताब भी लिखी जा रही है। रुढियो-परम्पराओं को तोड़कर मेहरूनिसा ने मर्दों का पेशा कहे जाने इस पेशे को अपनाया| वह आज महिला बाउंसर के रुप मे मशहूर हो गयी है| वैसे मेहरुनिशा के बात करने के तरीके से अंदाजा नहीं लगा पाएंगे कि इसके पीछे एक कड़क मिजाज बाउंसर भी छिपा हुआ है।
34 साल की मेहरूनिसा यूपी के सहारनपुर जिले से ताल्लुक रखती हैं। सन 2004 से ही इस लाइन से जुड़ गई, और 10वीं कक्षा से ही बाउंसर का काम करने लगी, हालांकि शुरूआत में बाउंसर की जगह उन्हें सिक्युरिटी गार्ड कहा जाता था, जिसका उन्होंने विरोध किया।
मेहरूनिशा का दावा है कि मैं देश की पहली महिला बाउंसर हूं, ये दर्जा प्राप्त करने के लिए मैंने बहुत लड़ाई लड़ी। जब मुझे गार्ड कहा जाता तो बहुत गुस्सा आता था। लेकिन कड़े संघर्ष के बाद मुझे देश की पहली महिला बाउंसर का दर्जा प्राप्त हुआ।
हालांकि उनके इस काम से उनके पिता खफा रहते थे। स्थानीय लोगों के ताने सुन कर उनके पिता हर वक्त नौकरी छोड़ने के लिए कहते। लेकिन वक्त ने ऐसी करवट ली कि लोग अब यह कहते हुए सुनाई पड़ते हैं कि बेटी हो तो मेहरूनिशा जैसी।
उसने बताया कि, शुरूआत में बहुत परेशानी देखी, न परिवार साथ देता था और न ही वक्त। मेरा वजन भी ज्यादा था, इसके बाद मैंने एनसीसी ज्वाइन किया। मुझे आर्मी या पुलिस की नौकरी करनी थी लेकिन मेरा पिता को यह पसंद नहीं था।
मेहरूनिशा को अब तक कई अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। हाल ही में उन्हें 8 मार्च को महिला दिवस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ से भी अवार्ड से सम्मानित किया गया। इतना ही नहीं उनके ऊपर एक किताब भी लिखी जा रही है।
मेहरूनिशा इतना कुछ प्राप्त करने के बावजूद भी खुश नहीं हैं। उनके मुताबिक जिस तरह उनका संघर्ष रहा, उन्हें वह पहचान नहीं मिल सकीअब तो हालत ये हो गई है कि फिलहाल उनके पास नौकरी तक नहीं है।
उसने बताया कि, जिंदगी मे इतना संघर्ष रहा कि मैं शादी भी नहीं कर सकी। एक सड़क हादसे के बाद मेरी बहन के पति ने उसे छोड़ दिया, जिसके बाद उनके बच्चों की जिम्मेदारी मेरे पास आ गई। मेरी शादी के रिश्ते आते हैं लेकिन बच्चों की जिम्मेदारी कोई नहीं लेता।
मेहरूनिसा के परिवार में कुल 3 भाई और उनके अलावा 4 बहने हैं। मेहरुनिशा की एक और बहन भी उसी के नक्शे कदम पर बढ़ चुकी है