धोखाधड़ी:10 बरस बाद 2 अफसरों, एजेंट, फाइनेंसर और डीलर के खिलाफ FIR दर्ज

हादसे  के 10 बरस बाद अदालत के आदेश पर दुर्ग की सुपेला पुलिस ने दुर्ग परिवहन विभाग के दो अफसरों , एजेंट,  फाइनेंसर और वाहन डीलर के खिलाफ FIR दर्ज की है | कुल 7 आरोपियों के खिलाफ 120बी, 420, 467, 468 और 471 के तहत अपराध दर्ज किया गया है|

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भिलाई।  हादसे  के 10 बरस बाद अदालत के आदेश पर दुर्ग की सुपेला पुलिस ने दुर्ग परिवहन विभाग के दो अफसरों , एजेंट,  फाइनेंसर और वाहन डीलर के खिलाफ FIR दर्ज की है | कुल 7 आरोपियों के खिलाफ 120बी, 420, 467, 468 और 471 के तहत अपराध दर्ज किया गया है|

सुपेला पुलिस के मुताबिक भिलाई रिसाली   प्रगति नगर  निवासी  77 वर्षीय अमर सिंह राजपूत ने सन 1998 में अपनी बेटी  के लिए बजाज प्राइस स्कूटी   बजाज ऑटो फाइनेंस भिलाई से फाइनेंस कराया था।

फाइनेंस कराते समय   फाइनेंसर ने फाइनेंस से संबंधित दस्तावेज और  कुछ कोरे कागजों में दस्तखत करवाकर फाइनेंस करा लिया   और समय पर उसकी किस्त भी अदा कर दी थी।

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बाद में विवेक अग्रवाल, प्रोप्राइटर मेसर्स वंदना ऑटो मोबाइल्स,   रायपुर, अनिल शर्मा   वंदना आटो मोबाइल्स रायपुर, जितेंद्र मालवीय   मैनेजर बजाज ऑटो फाइनेंस लिमिटेड राजबंधा मैदान रायपुर, महेंद्र बिसेन   सेल्समैन वंदना ऑटो मोबाइल   चंगोराभाठा रायपुर, आरटीओ दुर्ग के एजेंट वेंकटेश उर्फ चिन्ना  भिलाई नगर दुर्ग, तत्कालीन अतिरिक्त परिवहन अधिकारी दुर्ग एजी गनी खान और तत्कालीन अधीक्षक अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी दुर्ग ललित पांडेय ने मिलकर अमर सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी का प्लान बनाया था। इन्होंने कोरे कागज पर अमर सिंह के दस्तखत का फायदा उठाकर वंदना ऑटो मोबाइल रायपुर से ही एक और बाइक अमर सिंह के नाम पर फाइनेंस करवा दी।

पीड़ित अमर सिंह के मुताबिक  सातों आरोपियों ने मिलकर मेसर्स वंदना ऑटोमोबाइल्स से 30 अप्रैल 1998 को एक बाइक एमपी 24 ईसी 9959 फाइनेंस करवा ली। इसके बाद उस बाइक को छत्तीसगढ़ राज्य के नंबर सीजी 07 जेड.एन 1983 में परिवर्तित करा दिया और उसे बालाघाट मध्य प्रदेश भेज दिया। 18 दिसंबर 2012 को थाना परसवाड़ा जिला बालाघाट में सड़क दुर्घटना में बाइक चालक की मौत हो गई |

नियमतः बाइक मालिक अमर सिंह को आरोपी बनाया गया। जब पुलिस अमर सिंह के घर पहुंची तो उसके होश उड़ गए। उसने पुलिस को बताया कि उसने कोई बाइक खरीदी ही नहीं। इसके बाद उसे उसके साथ धोखाधड़ी का पता चला।

पीड़ित अमर सिंह ने मामले की शिकायत संबंधित थाने व पुलिस अधीक्षक से की।  कोई समाधान नहीं होने पर अदालत की शरण ली |  अदालत के हस्तक्षेप पर 10 साल बाद मामले में FIR दर्ज की गई है।

 

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