रबी धान किस कीमत पर ?

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महासमुंद  | खेतों में पानी उगलते बोरवेल, हर तरफ आखों को सुकून देता छाई धान की हरियाली, पर इसकी कीमत क्या होगी आने वाला कल बताएगा| दरअसल इस बार रबी का रकबा विगत वर्ष ली गयी रबी धान के  रकबे से कोई 20 फीसदी बढ़ गया है। क्षेत्र में 20 हजार से अधिक पम्प लगातार 24 घण्टे दिन रात   पानी उगलते बिजली हजम करते जा रहे है| आने वाले दिनों में पानी और बिजली की आफत आएगी यह झलकने लगा है| यह हाल है महासमुंद जिले के पिथौरा इलाके का|

कृषि विभाग के अनुसार इस वर्ष विगत वर्ष की तुलना में कोई 20 फीसदी रकबा रबी हेतु बढ़ा है।अधिकांश किसान धान की ही खेतो कर रहे है।

पिथौरा विकासखण्ड में कुल 8402 हेक्टयर भूमि में रबी की किसानी की जा रही है।इसमें गेंहू मक्का,दलहन,तिलहन एवम साग सब्जी मिलाकर कुल करीब 250 हेक्टयर में लगाई गई है जबकि मात्र धान 6303 हेक्टयर में लगाया गया है।

कृषि विभाग  अधिकारी डी पी पटेल के मुताबिक  इस बार विभाग का लक्ष्य रबी धान का रकबा कम कर दलहन तिलहन का रकबा बढ़ाने का लक्ष्य रखा था परन्तु किसान माने नही और इस बार पहले से भी कोई 20 से 25 फ़ीसदी अधिक रकबा में धान लगा दिया गया।

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इसके अतिरिक्त शासन की ओर से फसल प्रदर्शन के रूप में गेहूं 129 है,मूंग 145 हे, उड़द 145 हे , सहित मक्का एवम सरसो 28 हेक्टयर में लगा कर फसल ली जा रही है।

जिस तरह कृषि विभाग की समझाइस के बाद भी किसान रबी में सर्वाधिक पानी लगने वाली धान की फसल लगाई गई है।इन खेतो में सिंचाई हेतु क्षेत्र में 20 हजार से अधिक पम्प लगातार 24 घण्टे चल रहे है।उससे ये तय है कि गर्मी बढ़ने के साथ ही क्षेत्र में बिजली एवम पानी का गम्भीर संकट आ सकता है।

एक ओर कृषि विभाग की दलहन तिलहन में अधिक फायदा होने की सलाह को किसान पूरी तरह खारिज कर अत्यधिक रकबे में धान की फसल लगा चुके है।रबी में कम खर्च में अधिक धान होने के कारण किसानों के पास रबी का खासा धान होगा।ऐसी  में अब इस धान की कीमत क्या मिलेगी ?

खरीफ  का धान  मंडी में 1200 से 1300 तक बिक रहा है जबकि  न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 रुपये है।

 

 

 

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