Heavy blasting : परसा खदान में घुसकर महिलाओं ने जताया विरोध
Heavy blasting के खिलाफ घाटबर्रा, हरिहरपुर तथा अन्य गांव की महिलाओं ने सोमवार को परसा ईस्ट एवं केते बासेन खदान में घुसकर विरोध दर्ज कराया |
उदयपुर| Heavy blasting के खिलाफ घाटबर्रा, हरिहरपुर तथा अन्य गांव की महिलाओं ने सोमवार को परसा ईस्ट एवं केते बासेन खदान में घुसकर विरोध दर्ज कराया |
सरगुजा के विकासखंड उदयपुर अंतर्गत आने वाले कोल खदान परसा ईस्ट एवं केते बासेन कोल परियोजना में Heavy blasting हैवी ब्लास्टिंग के खिलाफ घाटबर्रा, हरिहरपुर तथा अन्य गांव की महिलाओं ने सोमवार को परसा ईस्ट एवं केते बासेन खदान में घुसकर ब्लास्टिंग को कम करने की मांग की है।
इसी तरह से विगत 23 दिसम्बर को हरिहरपुर में गुरुवार को साल्ही हरिहरपुर घाटबर्रा फतेहपुर के सैकड़ों महिला एवं पुरुषों ने परसा कोल खदान के विरोध में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार का तथा कोल खदान का संचालन करने वाली कंपनी अदानी का पुतला फूंका है।
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ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि परसा कोल ब्लॉक प्रारंभ करने के लिये राजस्थान सरकार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा जबरन छत्तीसगढ़ सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है।
गुरुवार को घाटबर्रा हरिहरपुर फतेहपुर तथा आसपास के सैकड़ों ग्रामीण फतेहपुर में खदान के विरोध में दोपहर 12 बजे से इक्कठा होने लगे इसी दौरान कुछ खदान समर्थक ग्रामीण हो हल्ला करने लगे, तब खदान के विरोध में इक्कट्ठे ग्रामीणों ने स्थान परिवर्तन करते हुए रैली के रूप में लगभग 4 किलोमीटर पैदल चलकर दोपहर 3 बजे ग्राम हरिहरपुर पहु सभा का आयोजन किया एवं राजस्थान सरकार अशोक गहलोत और अदानी कम्पनी का पुतला फूंका था।
ग्रामीणों ने कहा हम अच्छा से है अच्छा रहना चाहते है । हम अपने गांव से बेघर नहीं होंगे और ना ही कहीं जाएंगे। हम अपने जमीन जगह के लिए जान दे सकते हैं पर जमीन नहीं दे सकते।
हसदेव अरण्य क्षेत्र में ग्रामवासी एक दशक से जंगलों को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं । ग्रामीणों का आरोप है कि परसा कोल ब्लॉक के लिए जो ग्राम सभा प्रस्ताव हुआ था वह फर्जी है।
ग्राम घाटबर्रा की महिला नानदेई ने आरोप लगाया कि खदान की वजह से हमारे जंगल का विनाश हो रहा है जंगल पर आधारित संसाधन नष्ट हो रहे हैं जिससे आजीविका पर असर पड़ रहा है साथ ही भारी ब्लास्टिंग Heavy blasting से घरों में दरार पड़ चुके हैं हम किसी भी कीमत पर जमीन नहीं देंगे।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि पहले ब्लास्टिंग का समय दोपहर में हो हुआ करता था परंतु अब किसी भी समय ब्लास्टिंग करते हैं जिससे घरों में दरार आ रहे हैं पेड़ पौधों को नुकसान हो रहा है | कई बार दुर्घटनाएं होते-होते बची हैं जिसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं| Heavy blasting की रफ्तार कम नहीं किए जाने पर आने वाले दिनों में आंदोलन की चेतावनी भी ग्रामीणों द्वारा दी गई है।
deshdigital के लिए क्रांतिकुमार रावत की रिपोर्ट