अंतराष्ट्रीय महिला दिवस और स्वास्थ्य

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जा रहा. यह अलग अलग क्षेत्रों में महिलाओं की उपलब्धियों, योगदान और प्रगति को पहचानने और जश्न मनाने का दिन है. यह लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का दिन है.

0 51

- Advertisement -

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जा रहा. यह अलग अलग क्षेत्रों में महिलाओं की उपलब्धियों, योगदान और प्रगति को पहचानने और जश्न मनाने का दिन है. यह लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का दिन है. हालांकि, आज हम महिलाओं के स्वास्थ्य पर चर्चा करेंगे क्योंकि कि महिलाओं का स्वास्थ्य का एक जरूरी पहलू है. महिलाओं के स्वास्थ्य में शारीरिक, मानसिक और सोशल वेलबीइंग शामिल है. महिलाएं अपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलावों के जरिए अपनी लंबी उम्र और लाइफ क्वालिटी पर पॉजिटिव इफेक्ट डाल सकती हैं.

काम, घर और अपने जीवन के सभी लोगों की देखभाल करने की व्यस्त दिनचर्या के कारण अधिकांश महिलाओं के लिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य पीछे छूट जाता है.  इस महिला दिवस पर, खुद में सकारात्मक बदलाव लाएँ और अपने आसपास स्वास्थ्य को प्राथमिकता बनाने के लिए प्रोत्साहित करें. सेहत को नज़रअंदाज करना और अस्वस्थ जीवनशैली जीने से आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है.
महिलाओं के लिए एक स्वस्थ लाइफस्टाइल का होना महत्वपूर्ण है. इस स्वस्थ लाइफस्टाइल में स्वस्थ डाइट, पर्याप्त पानी का सेवन, नियमित एक्सरसाइज़ और नियमित जांच शामिल करना चाहिए.

यह भी पढ़ें: गर्मी में आपका हेल्थ और फिटनेस

डॉ सुष्मिता खनूजा गुम्बर,

 

 

भोजन में पोषक तत्वों की मात्रा पर ध्यान देना बेहद जरूरी है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है हमारे शरीर में पोषक तत्वों की मात्रा कम होने लगती है जिसकी वजह से अर्थराइटिस, हाई बीपी और भी दूसरी हेल्थ एंड ब्यूटी से जुड़ी समस्याएं परेशान करने लगती हैं. आज इस लेख में उम्र के अनुसार खान पान का सेवन कर कैसे स्वस्थ रहा जा सकता है इस पर विचार करंगे.

किशोरी बालिकाओं में खानपान

किशोरी बालिकाओं में शारीरिक और मानसिक विकास के लिए शरीर को ज्यादा न्यूट्रिशन की जरूरत होती है. ऐसे में न्यूट्रिशन से भरपूर डाइट प्राथमिकता होने चाहिए. इस उम्र में शरीर में जरूरी तत्वों की कमी से सबसे बड़ा रिस्क होता है हार्मोन्स का असंतुलित हो जाना, जो शरीर में कई तरह के फंक्शन्स के लिए जिम्मेदार होते हैं. जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं जिसमें सबसे पहला है अनियमित महावारी, इसके अलावा हीमोग्लोबिन की कमी आदि. किशोरी बालिकाओं की डाइट आयरन और प्रोटीन से भरपूर होनी चाहिए. बहुत ज्यादा शुगर, नमक, जंक फूड के साथ ही सैचुरेटेड और ट्रांस फैट वाले भोज्य पदार्थ के सेवन से बचना चाहिए.

30 वर्ष की उम्र की महिलाओं में खान पान

 

- Advertisement -

अगर आपकी उम्र 30 के नीचे है तो ये बिल्कुल सही समय है अपने शरीर में कैल्शियम के कम या ज्यादा होते लेवल को बैलेंस करने के लिए. इसके लिए विटामिन डी से भरपूर चीज़ों को अपनी डाइट में शामिल करें.अगर आप प्रेग्नेंट हैं या ब्रेस्ट फीडिंग कराती हैं तो आपको डाइट में विटामिन सी, आयरन और लीन प्रोटीन्स लेना चाहिए. वहीं अगर प्रेग्नेंसी की प्लानिंग कर रही हैं तब तो आपको खासतौर से विटामिन डी, B12, आयरन, कैल्शियम और फॉलिक एसिड युक्त डाइट लेना चाहिए. इस उम्र में महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है बैलेंस और हेल्दी डाइट लेना. साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, दाल, सीफूड्स और फलों का ज्यादा से ज्यादा मात्रा में सेवन करें. जो हेल्थ के साथ-साथ बढ़ती उम्र को भी कम करने में बेहद फायदेमंद होते हैं.

40 से 50 की उम्र में महिलाओं का खानपान

40 और 50 की उम्र पर पहुंच चुकी महिलाओं को ज्यादा कैल्शियम, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर चीज़ों का सेवन करना चाहिए, जैसे- बेरीज़, कोकोआ, ग्रीन टी. इसके अलावा फाइबर युक्त फूड्स भी इस उम्र में जरूरी होता है, जिसमें साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां और तरह-तरह के फल शामिल हैं. इस उम्र में विटामिन B12 को बिल्कुल भी इग्नोर न करें क्योंकि ये आपके न्यूरोलॉजिकल फंक्शन को दुरुस्त रखने में अहम भूमिका निभाता है.

अपराजिता के फूलों से बनी ’ब्लू टी’, जानिए कितना फायदेमंद

भोजन से कई बार इस विटामिन की पूर्ति नहीं हो पाती तो इसके लिए आप इनके सप्लीमेंट्स भी ले सकती हैं. इस उम्र में मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है और विटामिन्स की भी कमी होने लगती है तो ऐसे में कम शर्करा, कम वसा , और हाई प्रोटीन डाइट आपको लेना चाहिए. इसके साथ ही एक्सरसाइज तो जरूर आपके रूटीन में शामिल होना चाहिए.

नववर्ष में जीवन की हकीकतों को स्वीकारना सीखें

साथ ही मानसिक स्वास्थ्य पर भी विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए.दिनचर्या में योगा प्राणायाम शामिल करना आवश्यक है.क्योंकि स्वास्थ तन में ही स्वथ्य मन का निवास होता है.

(लेखिका डॉ सुष्मिता खनूजा गुम्बर, बिलासपुर में आयुष चिकित्सा अधिकारी हैं )

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.